Skip to main content

*उत्तर प्रदेश में 2,900 करोड़ रूपए का शौचालय घोटाला*

*उत्तर प्रदेश में 2,900 करोड़ रूपए का शौचालय घोटाला*

*लखनऊ।उत्तर प्रदेश* घोटालों का प्रदेश बन चुका है। एनआरएचम घोटाले से लेकर जमीन घोटाले तक केवल घोटाले और भ्रष्टाचार। प्रदेश में अब एक नया घोटाला सामने आ रहा है, शौचालय घोटाला। यह वाकई में शर्मनाक है।केंद्र सरकार की ओर से संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में शौचालय बनाए जाने थे। उत्तर प्रदेश पंचायती राज विभाग द्वारा ग्रामीण विकास मंत्रालय को बताया गया कि प्रदेश में 1.71 करोड शौचालयों का निर्माण करवाया गया है। लेकिन घरेलू जनगणना आंकड़ों में सामने आया कि प्रदेश में केवल 55 लाख ग्रामीणों के घर में ही शौचालय है। इससे साफ है कि उत्तर प्रदेश के 1.16 करोड़ ग्रामीणों के घर में शौचालय नहीं है।पूर्ण स्वच्छता अभियान की शुरूआत वर्ष 1999 में हुई थी, जिसके तहत वर्ष 2017 तक संपूर्ण भारत को गंदगी मुक्त बनाना है। उत्तर प्रदेश मेंइस योजना की शुरूआत वर्ष 2002 में हुई। इस योजना केतहतसमाज के विभिन्न वर्गों को अपने घरों में स्थायी शौचालय बनवाने के लिए सब्सिडी दी गई। वर्ष 2002 में यह सब्सिडी राशि 600 रूपए थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 4,500 रूपए कर दिया गया। एक नए शौचालय का निर्माण 2,500 रूपए में हो सकता है, जिसके आधार पर इस योजना में 2,900 करोड़े के हेरफेर की आशंका है।
टोटल सेनिटेशन कैंपेन के आंकड़ों की मानें तो उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में मात्र 17.50 प्रतिशत लोगों के घर में शौचालय नहीं है। जबकि जनसंख्या विभाग के आंकड़ों के अनुसार 78 प्रतिशत लोग शौचालय की सुविधा से महरूम हैं। टोटल सेनिटेशन कैंपेन के ऑनलाइन डाटा के अनुसार उत्तर प्रदेश के केवल दो जिलों लखीमपुर खीरी और फर्रूखाबाद में 100 फीसदी घरों में शौचालय हैं। इन आंकडों को भी जब जनसंख्या विभाग के आंकड़ों से क्रॉसचैक किया गया तो मालूम चला कि 2011 की जनसंख्या रिपोर्ट के आधार पर इन जिलों में 81.7 प्रतिशत और 76.10 प्रतिशत घरों में शौचालय हैं।शौचालयों की संख्या के बढ़ा-चढ़ाकर किए गए इस आकलन की चपेट में प्रदेश की राजधानी लखनऊ भी शामिल है। टीएससी रिपोर्ट्स के आधार पर लखनऊ के 89.84 प्रतिशत लोगों के घरों में शौचालय है, जबकि सरकारी आंकड़ों में यह संख्या मात्र 65.6 प्रतिशत है।ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेन एसोसिएशन की सेकेट्री मधु गर्ग इस मामले में कहती हैं "उत्तर प्रदेश के अधिकांश ग्रामीणों के घरों में शौचालय न होने की बात से यह जाहिर है कि प्रदेश में महिलाओं की स्थिति कैसी है। अधिकतर महिलाओं को सुबह के समय खेतों में जाना पड़ता होगा और अगर बदकिस्मती से किसी महिला की तबियत खराब हो गई तो उसपर मुसीबतों का पहाड़ टूट जाता होगा।"

*मोहम्मद हम्माद*/दरभंगा *B NEWS*

Comments

Popular posts from this blog

*'देश नही बिकने दूँगा' कहने वालो ने आज उन 28 सरकारी कंपनियों की लिस्ट जारी की है जिसे वह बेचने जा रहे है*

*'देश नही बिकने दूँगा' कहने वालो ने आज उन 28 सरकारी कंपनियों की लिस्ट जारी की है जिसे वह बेचने जा रहे है* 1- स्कूटर्स इंडिया लि., 2- ब्रिज ऐंड रूफ कंपनी इंडिया लि, 3- हिंदुस्तान न्यूज प्रिंट लि., 4- भारत पंप्स ऐंड कम्प्रेसर्स लि, 5- सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि., 6- सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लि, 7- भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड, 8- फेरो स्क्रैप निगम 9- पवन हंस लिमिटेड, 10- एअर इंडिया और उसकी पांच सहायक कंपनियां और एक संयुक्त उद्यम, 11- एचएलएल लाइफकेयर, 12- हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लि., 13- शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, 14- बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड. 15- नीलांचल इस्पात निगम लिमिडेट 16- हिंदुस्तान प्रीफैबलिमिटेड (HPL), 17 - इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स इंडिया लिमिटेड, 18- भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन 19- कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CONCOR) 20- एनएमडीसी का नागरनकर स्टील प्लांट, 21- सेल का दुर्गापुर अलॉय स्टील प्लांट, सलेम स्टील प्लांट और भद्रावती यूनिट. 22- टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड (THDCIL) 23- इंडियन मेडिसीन ऐंड फार्मास्यूटिकल्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (IMP

*कृपया इस संदेश को हमारे लिए नहीं राष्ट्र के लिए आगे भेजिए*

*कृपया इस संदेश को हमारे लिए नहीं राष्ट्र के लिए आगे भेजिए* *एनपीआर के लिए हमारा सहयोग होगा शानदार सफलता:* यदि प्रधान मंत्री मोदी को नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 3 के अनुसार, अपनी नागरिकता दर्ज करने की आवश्यकता नहीं है, तो हमें क्यों करना चाहिए? मैं प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा श्री सुभंकर सरकार (632 / 2020-PME) के RTI के लिए दिए गए इस उत्तर की प्रति लेने के लिए सभी से आग्रह करता हूं कि श्री मोदी के नागरिकता प्रमाण पत्र के संबंध में उठाए गए और कागजात दिखाने से इनकार कर दिया, जब NPR डेटा संग्राहक आपसे मिलते हैं। फिर हम सब मोदी की तरह जन्म से ही नागरिक हैं। कृपया इसे व्यापक रूप से प्रसारित करें और प्रत्येक निकाय को इस RTI उत्तर की एक प्रति अपने पास रखनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर इसे प्रगणकों को दिखाना चाहिए। यह बहुत महत्वपूर्ण है। यह मुद्दा संसद में उठाया जा सकता है। पीएम का मामला सामान्य नागरिक की तुलना में भिन्न नहीं हो सकता है। । *मोहम्मद हम्माद ; मोहम्मद अरबाज*/दरभंगा *B NEWS* *For more news update please visit our blog* *Link given below* http://www.bmediaa.blogspot.c

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के समन और नोटिस ईमेल, फैक्स और इंस्टैंट मैसेजिंग एप्लिकेशन जैसे व्हाट्सएप के जरिए भेजे जा सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के समन और नोटिस ईमेल, फैक्स और इंस्टैंट मैसेजिंग एप्लिकेशन जैसे व्हाट्सएप के जरिए भेजे जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के समन और नोटिस ईमेल, फैक्स और इंस्टैंट मैसेजिंग एप्लिकेशन जैसे व्हाट्सएप के जरिए भेजे जा सकते हैं। "यह हमारे ध्यान में लाया गया है कि नोटिस, सम्मन, विनती की सेवाओं के लिए डाकघरों का दौरा करना संभव नहीं था। उपरोक्त सभी तरह की सेवा ईमेल, फैक्स और अन्य त्वरित संदेशवाहक सेवाओं जैसे व्हाट्सएप और अन्य टेलीफोन मैसेंजर के माध्यम से की जा सकती है। सेवाओं, "शीर्ष अदालत ने कहा। जस्टिस ए एस बोपन्ना और आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने कहा, "दो ब्लू टिक्स बताएंगे कि रिसीवर ने नोटिस देखा है।" यह आदेश महामारी के कारण उच्च न्यायालयों और न्यायाधिकरणों में अपील दायर करने की सीमा अवधि बढ़ाने पर सुनवाई के दौरान आया। । #breakingnews   #suprimecort   #whatsapp   #socialsites